गर्भवती और कुपोषित बच्चों के लिए सहजन सबसे उपयुक्त पोषाहार
सुनील गुप्ता
गर्भवती और कुपोषित बच्चों के लिए सहजन सबसे उपयुक्त पोषाहार
पोषण माह
• पोषण वाटिका में सहजन के पौधे लगाने पर ज़ोर
• हरी साग सब्जियों में सबसे गुणकारी है सहजन
ग़ाज़ीपुर,
बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग सहित अन्य छह विभागों के साथ पोषण माह के तहत कार्यक्रमों और गतिविधियों का सुचारु रूप से संचालन किया जा रहा है। शासन द्वारा चलायी जा रही योजनाओं के माध्यम से पुष्टाहार व अन्य हरी साग सब्जियाँ देकर कुपोषण दूर किया जा रहा है। इसी के मद्देनजर इस साल पोषण माह के अंतर्गत पोषण वाटिका (किचन गार्डन) लगाने पर जोर दिया गया है जिसमें सहजन, गिलोय और तुलसी का पौधा लगाने पर जोर दिया गया है। इन पौधों में सहजन का पौधा कुपोषण को दूर भगाने में अपना अहम योगदान निभा रहा है जिसके लिए शासन के द्वारा पोषण वाटिका का भी निर्माण कराया जा रहा है जिसमें सहजन के पेड़ लगाने पर जोर दिया जा रहा है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) दिलीप कुमार पांडेय ने बताया – जनपद में करीब 4,127 आंगनबाड़ी केंद्रों में कम से कम एक सहजन का पौधा रोपित किया जाएगा। जिले के प्रत्येक ब्लॉक में पाँच-पाँच पोषण वाटिका के हिसाब से लगभग 81 पोषण वाटिका तैयार की जा चुकी हैं। पौधों के वृक्ष बनने से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा साथ ही स्वस्थ समाज की परिकल्पना भी साकार होगी। सहजन के प्रयोग से गर्भवती का स्वास्थ्य बेहतर होने के साथ ही कुपोषित बच्चों में भी कुपोषण दूर होगा। आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए नित नए प्रयास किए जा रहे हैं।नियमित रुप से सब्जी व फल भोजन में प्रयोग करने से शरीर स्वस्थ रहता है और बिमारियों से लड़ने की ताकत रहती है। भोजन में पोषक तत्वों की कमी ही मुख्य रुप से कुपोषण का कारण है। कुपोषण से सुपोषण की ओर जाने के लिए पोषण वाटिका का बहुत महत्व है।
डीपीओ ने बताया कि आईसीडीएस विभाग की ओर से कुपोषित बच्चों को चिह्नित कर उनके स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बच्चों को पौष्टिक आहार के रूप में पंजीरी, मीठा व नमकीन दलिया आदि का वितरण किया ही जा रहा साथ ही गर्भवती माताओं के स्वास्थ्य की जांचकर आयरन की गोलियां दी जा रही हैं ताकि कुपोषण को जड़ से समाप्त किया जा सके। वहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता डोर टू डोर जाकर जच्चा व बच्चा का ख्याल रख रही हैं। जनपद में कुपोषण नियंत्रण की स्थिति संतोषजनक है। इस कड़ी में शासन ने अब नई पहल करते हुए प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों पर विटामिन युक्त सहजन के पौधों का रोपण कराने का निर्णय लिया है।
जिला स्वस्थ भारत प्रेरक जितेंद्र गुप्ता ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर सहजन के पौधे लगवाने का मुख्य उद्देश्य गर्भवती और कुपोषित बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य पर बल देना है। उन्हें प्रेरित किया जा रहा है कि सहजन की सब्जी, सूप आदि का प्रयोग करने से उनका स्वास्थ्य बेहतर होगा साथ ही जन्म लेने वाले बच्चे भी स्वस्थ होंगे। इतना ही नहीं केंद्र के नौनिहालों को भी इसका सेवन कराया जाएगा ताकि उन्हें विटामिन युक्त आहार मिल सके। उन्होने बताया कि नियमित रुप से सब्जी व फल भोजन में प्रयोग करने से शरीर स्वस्थ रहता है और बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है। भोजन में पोषक तत्वों की कमी ही मुख्य रुप से कुपोषण का कारण है। कुपोषण से सुपोषण की ओर जाने के लिए पोषण वाटिका का बहुत ही अधिक महत्व है।
गुणकारी है सहजन – सहजन बहुत ही गुणकारी सब्जी है। इस पोषण वाटिका का उद्देश्य घरेलू स्तर पर पोषण संबंधी साग सब्जी प्रयोग की महत्वता पर प्रकाश डालना है जिससे लोग घरेलू स्तर पर ही पोषण युक्त साग-सब्जियां उगाकर उसका प्रयोग करे। ग्रामीण क्षेत्र में पाया जाने वाला सहजन कुपोषण से जंग लड़ेगा। इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, मुनगा और ड्रम स्टिक नाम से भी जाना जाता है। इस पौधे की पत्तियां, टहनियां, तना, जड़ और गोंद सभी बहुत उपयोगी होते हैं। सहजन की पत्तियों में काफी मात्रा में विटामिन, कैल्शियम और फास्फोरस पाया जाता है। यह स्थानीय स्तर पर आसानी से लग जाती है, इसी के साथ पपीता और अनार भी आसानी से लग जाता है।
सहजन के गुण – दही से भी दोगुना अधिक प्रोटीन, गाजर से भी चार गुना अधिक विटामिन ए, दूध से भी चार गुना अधिक कैल्शियम, संतरा से भी सात दूना अधिक विटामिन सी, ज़ीरो प्रतिशत कोलेस्ट्रोल आदि।