रिपोर्ट: अर्पित
कहानी, किरदार और मिथक
नौ रहस्यमयी किताबें, अमरता का रहस्य और मौर्य सम्राट अशोक का संदर्भ—फिल्म Mirai इसी बड़े दांव पर चलती है। कार्तिक गट्टम्मनेनी के निर्देशन में बनी यह फैंटेसी-एक्शन 12 सितंबर 2025 को सिनेमाघरों में उतरी और आते ही विजुअल्स व बैकग्राउंड स्कोर पर वाहवाही बटोर ली।
फिल्म में Manchu Manoj मुख्य खलनायक ‘महाबीर लामा’—उर्फ़ ‘ब्लैक स्वॉर्ड’—की भूमिका में हैं। उनका चरित्र निर्मम, रहस्यमय और लक्ष्य को लेकर आसक्त है: वह उन नौ प्राचीन पुस्तकों को पाना चाहता है जिनमें अमरता का सूत्र छिपा है। कहानी यही बताती है कि कलिंग युद्ध की विभीषिका से टूटा अशोक इन किताबों को दुनिया से छिपाने के लिए अपने विश्वसनीय संरक्षकों को सौंप देता है। सदियों बाद वही धरोहर आधुनिक दुनिया में संकट बनकर लौटती है।
तेजा सज्जा इस संघर्ष के केंद्र में खड़ा नायक हैं—एक ऐसा पात्र जो मिथक और विज्ञान की जंग में अपनी व्यक्तिगत कीमत भी चुकाता है। Manoj का ‘ब्लैक स्वॉर्ड’ जितना बाहरी लड़ाई लड़ता है, उतनी ही भीतर की भूख और भय से भी संचालित दिखता है। यही द्वंद्व कहानी को सिर्फ अच्छाई-बुराई के आसान खांचे में नहीं रहने देता।
फिल्म भारतीय लोककथाओं और ‘नाइन अननोन’ जैसी लोकप्रिय दंतकथाओं को आधुनिक फैंटेसी भाषा में ढालती है। स्केल बड़ा है—पौराणिक संकेतों, गुप्त समाजों और समय के पार फैली खोज की धारा के साथ। इस दुनिया में टेक्नोलॉजी, प्राचीन लिपियां और जादुई प्रतीक सहजता से साथ चलते हैं, और Manoj का प्रतिपक्ष हर मोड़ पर दांव ऊंचा करता जाता है।
कास्टिंग यहां बड़ा प्लस है। तेजा सज्जा की यह फिल्म उनके 2024 के ब्लॉकबस्टर ‘हनु-मान’ के बाद आई है, इसलिए दर्शकों की उम्मीदें ऊंची थीं। Manoj की वैलन-पिचिंग उस उम्मीद के उलट-फेर के लिए जरूरी धार देती है—वह बनावट में शातिर और प्रस्तुति में प्रभावशाली हैं। रितिका नायक, श्रिया सरन, जयराम और जगपति बाबू जैसी कास्ट कहानी के अलग-अलग हिस्सों को विश्वसनीय बनाती है। प्रभास का स्पेशल कैमियो सरप्राइज फैक्टर रचता है और थिएटर में हलचल बढ़ाता है।
क्रिटिक्स ने विजुअल इफेक्ट्स को “हॉलीवुड लेवल” कहा है। इसका मतलब सिर्फ बड़े शॉट नहीं, बल्कि दुनिया-निर्माण की निरंतरता—प्रॉप, सेट-डिज़ाइन, रंग-भाषा और एक्शन को एक ही सौंदर्य-बोध में रखना। बैकग्राउंड स्कोर हंटिंग और हीरोइक थीम्स के बीच झूलता है, जिससे पीछा-पकड़ और रिचुअल-सीक्वेंस में तनाव टिकता है।
रिलीज़ रणनीति, बॉक्स ऑफिस और तकनीकी बढ़त
फिल्म की रिलीज़ स्ट्रैटेजी साफ है—पैन-इंडिया से आगे बढ़कर पैन-एशिया का इशारा। यह टाइटल तेलुगू के अलावा हिंदी, मलयालम, कन्नड़, बंगाली, मराठी और चीनी भाषाओं में रिलीज़ हुई। चीनी संस्करण जोड़ना अपने आप में दिलचस्प कदम है—मिथक-आधारित बड़े बजट के भारतीय टाइटल चीन में चर्चा बटोरते हैं, और यह फिल्म उसी खांचे में अपनी जगह तलाशती है।
मल्टी-लैंग्वेज रोलआउट के फायदे दो हैं: पहला, कहानी का लोकलाइज़्ड कनेक्ट, जिससे संवाद और सांस्कृतिक संदर्भ ज्यादा सहज लगते हैं; दूसरा, बॉक्स ऑफिस जोखिम का विभाजन—विभिन्न क्षेत्रों से शुरुआती ऑक्यूपेंसी मिलकर ओपनिंग को स्थिर बनाती है। उद्योग के अनुमान कह रहे हैं कि शुरुआती प्रतिक्रियाएं मजबूत हैं और वर्ड-ऑफ-माउथ आगे का रास्ता आसान कर सकता है।
टेक्निकल डिपार्टमेंट का दम इस तरह के हाई-कॉन्सेप्ट सिनेमा में निर्णायक होता है। यहां कैमरा मूवमेंट, रंग-संयोजन और CGI का इंटिग्रेशन एक ही व्याकरण में दिखता है—एक्शन बीट्स के बीच VFX कट-ऑफ नहीं चुभता। यह बात बार-बार रिव्यूज़ में उभर कर आई कि फैंटेसी-लोर बनाने में टीम ने लैंडमार्क, प्रतीकों और मैजिक-सिस्टम को लगातार और तर्क-संगत रखा, ताकि दर्शक नियमों से परिचित होते जाएं और सरप्राइज भी काम करे।
तेजा सज्जा के लिए यह फिल्म ‘हनु-मान’ के बाद करियर की दिशा तय करने जैसा कदम है। एक तरफ फैंटेसी-यूनिवर्स की बढ़ती चाह, दूसरी तरफ नए प्रतिद्वंद्वी का दमदार सेटअप—दोनों मिलकर स्टार-इमेज को नया स्पेक्ट्रम देते हैं। वहीं Manchu Manoj का खलनायक अवतार बहु-स्तरीय है—यह सिर्फ शक्ति-प्रदर्शन नहीं, बल्कि वैचारिक टकराव भी है: अमरता की चाह बनाम मानवीय सीमा की स्वीकृति।
फिल्म की चर्चा का एक बड़ा कारण इसका “लोर-एंड-लुक” पैकेज भी है। पोस्टर्स और ट्रेलर ने जो प्रॉमिस किया था—हथियारों के डिज़ाइन, प्राचीन मुहरों, और सीक्रेट-ऑर्डर्स की हाइ-ग्लॉस दुनिया—मेन फिल्म उसी को आगे बढ़ाती है। बैकग्राउंड स्कोर तांत्रिक-लोकधुनों से लेकर सिंथ-ड्राइवेन थीम्स तक जाता है, जिससे पुराने-नए का मेल सुनाई देता है।
कहानी की संरचना अध्यायों जैसी है—हर चैप्टर किसी किताब के संकेत, किसी संरक्षक की परत, या ‘ब्लैक स्वॉर्ड’ की नई चाल खोलता है। यह फॉर्मेट दर्शक को पज़ल-सॉल्विंग मोड में रखता है। कई दृश्यों में संपूर्णता का आनंद है—धूल और धुंध से बना वातावरण, मशालों की रोशनी, और तेज कट वाले द्वंद्व—जो थियेट्रिकल अनुभव को बड़ा बनाते हैं।
फिल्म के बारे में जो प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, उनमें दो बातें कॉमन हैं: एक, विजुअल स्केल उम्मीद से बड़ा है; दो, मिथक को क्लीन-कोडेड फैंटेसी में बदला गया है, जिससे गैर-तेलुगू दर्शक भी आसानी से जुड़ पाते हैं। यही वजह है कि मल्टी-लैंग्वेज दर्शकों में रिप्ले वैल्यू की चर्चा हो रही है—इशारा इस ओर कि सेकंड वीकेंड तक पकड़ बनी रह सकती है।
कास्ट और रिलीज़ की प्रमुख बातें एक नजर में:
- कास्ट: तेजा सज्जा (लीड), Manchu Manoj (महाबीर लामा/ब्लैक स्वॉर्ड), रितिका नायक, श्रिया सरन, जयराम, जगपति बाबू, विशेष उपस्थिति—प्रभास।
- निर्देशन: कार्तिक गट्टम्मनेनी
- रिलीज़ भाषाएं: तेलुगू, हिंदी, मलयालम, कन्नड़, बंगाली, मराठी, चीनी
- हाइलाइट्स: प्रभावशाली VFX, दमदार बैकग्राउंड स्कोर, मिथक और मॉडर्न फैंटेसी का मेल
आखिरी बात, यह फिल्म उस ट्रेंड को और मजबूती देती है जिसमें भारतीय मिथकों को ग्लोबल फैंटेसी ग्रामर में ढाला जा रहा है—बड़े विजुअल्स, सुसंगत वर्ल्ड-बिल्डिंग और याद रहने वाला एंटागोनिस्ट। ‘ब्लैक स्वॉर्ड’ की मौजूदगी और उसकी वैचारिक लड़ाई इस दुनिया को अगली कड़ी की तरफ ले जाती दिखती है—और थिएटर में यही वादा दर्शक आज सबसे ज्यादा खरीद रहे हैं।