पिरामल फाइनेंस लिमिटेड ने 7 नवंबर, 2025 को अपनी स्टॉक लिस्टिंग के साथ बाजार को एक झटका दे दिया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर ₹1,124.20 के निर्धारित मूल्य के मुकाबले ₹1,260 पर शुरू हुई इस लिस्टिंग ने 12% का प्रीमियम दिखाया, जबकि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर यह नंबर ₹1,270 तक पहुंच गया। बाद में शेयर बीएसई पर 5% के अपर सर्किट तक पहुंच गया — ₹1,333.45। यह लिस्टिंग सिर्फ एक शुरुआत नहीं, बल्कि एक बड़े संगठनात्मक बदलाव का परिणाम है — जिसमें पिरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड (PEL) ने अपनी पूर्णतः स्वामित्व वाली सहायक कंपनी पिरामल फाइनेंस के साथ विलय कर दिया। यह विलय 2025 के सितंबर में राष्ट्रीय कंपनी अधिनियम न्यायाधिकरण (NCLT) द्वारा मंजूर हुआ था, और PEL के शेयर 23 सितंबर को ट्रेडिंग से निलंबित हो गए।
किसने देखा यह इतिहास?
लिस्टिंग समारोह में अनंद पिरामल, जो 16 सितंबर को पिरामल फाइनेंस के अध्यक्ष बने, ने अपनी टीम के साथ नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, मुंबई में शुभारंभ किया। लेकिन ध्यान आकर्षित करने वाला था अम्बानी परिवार की उपस्थिति — विशेषकर नीता अम्बानी, जिन्होंने अपने नाती को गोद में लिए हुए इस अहम क्षण को देखा। यह दृश्य सिर्फ एक शैली का नहीं, बल्कि एक संकेत था: भारत के सबसे शक्तिशाली व्यवसायिक परिवार अब पिरामल फाइनेंस के भविष्य में विश्वास करते हैं।रिटेल फाइनेंस पर जोर: 80:20 का बदलाव
पिरामल फाइनेंस की सफलता का राज उसके बिजनेस मॉडल में छिपा है। मार्च 2024 तक, इसके कुल संपत्ति प्रबंधन (AUM) में रिटेल और व्होलसेल सेगमेंट का अनुपात 70:30 था। लेकिन मार्च 2025 तक यह अनुपात ₹80,689 करोड़ के AUM के साथ 80:20 हो गया। यानी, अब इसकी आय का चार-पांचवां हिस्सा छोटे उधारकर्ताओं, मध्यम वर्ग और घरेलू उपभोक्ताओं से आ रहा है — जिनकी जरूरतें बैंकों के दायरे से बाहर हैं।यह बदलाव जानबूझकर किया गया। जब 2021 में पिरामल ने देवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (DHFL) को ₹34,250 करोड़ में खरीदा था, तो उद्देश्य बस एक बड़ी बैलेंस शीट खरीदना नहीं था। उद्देश्य था — एक अस्थिर, डेट-रिलेटेड बिजनेस को एक स्थिर, रिटेल-फोकस्ड फाइनेंस हाउस में बदलना। और आज वह बदलाव पूरा हो चुका है।
₹1.5 लाख करोड़ तक का सपना
पिरामल फाइनेंस के सीईओ जयराम श्रीधरण ने लिस्टिंग के दौरान एक स्पष्ट लक्ष्य रखा: ₹1.5 लाख करोड़ AUM तक पहुंचना — 2028 तक। यह उनके मौजूदा AUM (₹80,689 करोड़) के मुकाबले लगभग 85% बढ़ोतरी है। और यह सिर्फ आकार की बात नहीं। वे कहते हैं, "हम एक ऐसा बिजनेस बनाना चाहते हैं जिसका रिटर्न ऑन एसेट्स 3% हो, और लाभ की भविष्यवाणी करना आसान हो।"यह लक्ष्य अद्वितीय है। ज्यादातर एनबीएफसी अपने एक्सपेंशन को एक्सपोनेंशियल ग्रोथ से जोड़ते हैं — लेकिन पिरामल फाइनेंस एक नए मानक की ओर बढ़ रहा है: स्थिरता + आकार। उनका विश्वास है कि अगर वे रिटेल पोर्टफोलियो को नियंत्रित रखेंगे, तो रिस्क कम होगा, और लाभ अधिक टिकाऊ होगा।
अगला कदम: खरीदारी की तैयारी
लिस्टिंग के बाद शेयर की मजबूत प्रतिक्रिया ने पिरामल फाइनेंस को एक नई शक्ति दी है — वित्तीय शक्ति। अब वे एनबीएफसी सेक्टर में छोटी-मोटी कंपनियों को खरीदने के लिए तैयार हैं। उनका रणनीति यह है: अपनी रिटेल नेटवर्क को बढ़ाने के लिए स्थानीय लोन देने वाले एजेंट्स, डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म या छोटे फाइनेंस हाउसेज को एकीकृत करना।यह एक ऐसी रणनीति है जिसे एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक ने भी 2010 के दशक में अपनाया था। लेकिन पिरामल फाइनेंस का फर्क यह है कि वे बिना बैंक के बिना, बिना बैंकिंग लाइसेंस के, इस रास्ते पर चल रहे हैं। और बाजार उन्हें इसके लिए इनाम दे रहा है।
पिरामल ग्रुप का नया अध्याय
जबकि अनंद पिरामल पिरामल फाइनेंस के अध्यक्ष हैं, तो अजय पिरामल अभी भी पिरामल ग्रुप के अध्यक्ष हैं। यह विभाजन जानबूझकर किया गया है — ताकि फाइनेंस बिजनेस अपने रास्ते पर चल सके, जबकि फार्मास्यूटिकल्स और रियल एस्टेट के अन्य हिस्से अलग रहें। यह एक बड़ा बदलाव है: एक परिवार जो पहले एक अलग-अलग बिजनेस डाइवर्सिफाइड ग्रुप था, अब एक स्पष्ट रणनीतिक अलगाव के साथ आगे बढ़ रहा है।यह लिस्टिंग एक सिंपल स्टॉक मार्केट इवेंट नहीं है। यह भारत के फाइनेंशियल सेक्टर में एक बड़ी रणनीतिक शिफ्ट का प्रतीक है — जहां बैंकों के बाहर एक नया एनबीएफसी इकोसिस्टम उभर रहा है। और पिरामल फाइनेंस उसका नेता बन रहा है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
पिरामल फाइनेंस का रिटेल फाइनेंस मॉडल क्यों सफल हो रहा है?
पिरामल फाइनेंस ने छोटे उधारकर्ताओं, मध्यम वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों की जरूरतों को समझा है। उन्होंने डिजिटल लेंडिंग और डेटा-बेस्ड रिस्क असेसमेंट के साथ अपने पोर्टफोलियो को अत्यधिक फोकस्ड बनाया है। मार्च 2025 तक उनके AUM का 80% रिटेल सेगमेंट से आ रहा है, जिसमें कम रिस्क और अधिक रिपीट बिजनेस है। यही कारण है कि बाजार उन्हें बैंकों के बराबर विश्वास दे रहा है।
DHFL का खरीदारी ने पिरामल फाइनेंस को कैसे मदद की?
2021 में DHFL के खरीदारी ने पिरामल को एक बड़ी लोन पोर्टफोलियो दी, लेकिन असली जीत उसके बाद की रणनीति में थी। उन्होंने DHFL के नेटवर्क को रिटेल-फोकस्ड मॉडल में बदल दिया, डेटा और टेक्नोलॉजी के साथ रिस्क मैनेजमेंट सुधारा, और बैकग्राउंड चेकिंग को ऑटोमेट किया। इससे उनका नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) दर 1.8% तक कम हो गया, जो इंडस्ट्री के औसत से काफी कम है।
₹1.5 लाख करोड़ AUM का लक्ष्य कितना वास्तविक है?
यह लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है, लेकिन नामुमकिन नहीं। पिरामल फाइनेंस ने पिछले साल 17% की वृद्धि की है। अगर वे इसी गति से चलते रहें, तो 2028 तक ₹1.5 लाख करोड़ तक पहुंचने के लिए सालाना लगभग 18-20% की वृद्धि की जरूरत है — जो उनके रिटेल फोकस और एक्विजिशन स्ट्रैटेजी के साथ संभव है। अगर वे 2-3 छोटे एनबीएफसी खरीद लें, तो यह लक्ष्य और भी आसान हो जाएगा।
नीता अम्बानी की उपस्थिति का क्या मतलब है?
नीता अम्बानी की उपस्थिति सिर्फ एक सामाजिक इशारा नहीं, बल्कि एक वित्तीय संकेत है। अम्बानी परिवार के निवेश निर्णय अक्सर बाजार को दिशा देते हैं। उनकी उपस्थिति इस बात की पुष्टि करती है कि पिरामल फाइनेंस एक ऐसी कंपनी है जिसे भारत के सबसे बड़े व्यवसायिक घराने भी अपने निवेश पोर्टफोलियो में शामिल करना चाहते हैं। यह एक बड़ी प्रतिष्ठा का संकेत है।
पिरामल फाइनेंस के लिए अगला चरण क्या है?
अगला चरण एक्विजिशन और टेक्नोलॉजी इन्वेस्टमेंट पर होगा। वे छोटे लोन देने वाले प्लेयर्स, डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म और एआई-आधारित क्रेडिट स्कोरिंग स्टार्टअप्स को खरीदने की योजना बना रहे हैं। उनका लक्ष्य है — भारत के छोटे शहरों और गांवों में एक डिजिटल फाइनेंस नेटवर्क बनाना, जो बैंकों से ज्यादा तेज और अधिक व्यक्तिगत हो।