मनोरंजन

मै हूं पृथ्वी,मै हूं संसार…..

रिपोर्टर विनय ठाकुर

मैं पृथ्वी हूँ
मैं हूँ तो है संसार
मै ही हूँ जीवन का आधार
मैं पृथ्वी हूँ

वन और वन्यजीव हैं मेरे श्रृंगार
मेरे ही ऊपर है दुनियाँ का भार
मगर मैं ही झेल रही हूँ क्रूरता का प्रहार
मैं ही हूँ जीवन का आधार
मैं पृथ्वी हूँ

एक एक कर पेड़ कटते जा रहे हैं
वन सिमटते और घटते जा रहे हैं
मैं बाध्य हो रही हूँ धधकने के लिए बनदुकर अंगार
मैं ही हूँ जीवन का आधार
मैं पृथ्वी हूँ

पृथक नहीं है मुझसे पंचतत्व
सबको समझना होगा मेरा महत्व
सुखद भविष्य के लिए पौध लगाते रहो लगातार
मैं ही हूँ जीवन का आधार
मैं पृथ्वी हूँ

मेरे आँचल में छिपा है अपार धन का खजाना
सरिता सागर और सात सुरों का तराना
फल फूल अन्न और औषधि का उगाती हूँ भंडार
मैं ही हूँ जीवन का आधार
मैं पृथ्वी हूँ

मैं माँ हूँ ममता करती हूँ निछावर
सुलाती हूँ मिट्टी का चादर बिछाकर
असहनीय कष्ट सहकर मैं करती हूँ दुलार
मैं ही हूँ जीवन का आधार
मैं पृथ्वी हूँ

त्यौहार उत्सव जिन्दगी से तुम नहीं अपने भगाओ
एक नहीं, दिवस मेरा हर दिवस तुम तो मनाओ
मेरे नहीं, अपने लिए हरित क्रांति करलो विचार
मैं ही हूँ जीवन का आधार
मैं पृथ्वी हूँ

अभी भी वक्त है मुझे सम्हालो
मेरे साथ अपने अस्तित्व को भी बचालो
नहीं तो “ओ.पी.बउचट ओस” हो जायेगा अमिट अंधकार
मैं ही हूँ जीवन का आधार
मैं पृथ्वी हूँ

ओ.पी.बउचट ओस

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close